रिश्तों को किसी की नज़र लगी है

रिश्तों को किसी की नज़र लगी है

इस बेबुनियादी सोच पर यकीं कर हमारी सोच पर बरफ जमी है

पिगल कर बह जाए

तो हमें हमारी खामियाँ नज़र आ जाए

और जो बैर का बीज जन्म ले रहा है

शायद वो जन्म ना ले पाए …………….