Poem – खुद पर ना कर इतना गुमान..

21.

खुद पर ना कर इतना गुमान
कि खुदा की रहमतो को भाँप ना सके,
मौत सबको मिटी मे हे मिलती है
क्या सोचता है तू खुले आकाश के तले,
यदि फर्क सिर्फ़ अमीरी ग़रीबी का है
तो ये बस पैसे का कमाल है,
खुदा ने तो हम सबको एक जैसा हे बनाया है
उपर मिलकर पूछूँगा तुझसे बोल…….
अब तेरा क्या ख़याल है……….

22.

लम्हेंकहतेहैं
थमजाऐवक्त
के जीअभीभरानहीं
सूईकीनोकपरठिकारहताहै
क्यातूकभीथकतानहीं
निरन्तरचलताजाताहै
नाकुछ पीतानाकुछ खाताहै,
औरनिर्दईबनकर फिर
हमारेलम्होंकोसताताहै
क्योंहमेंसंगअपनेबँधे  रखताहै
लम्हेंखुशीवेकेहोयागम के
मनभरेयानाभरे
सूईकीनोकपरटांगेरखताहै।

23.

क्याखूबलिखताहैमन,
जबहाथमैंहोतीहैकलम,
सामनेतेराचेहरा,
उठतीमनमेहज़ारोतरंग,
लाज़मीहै ..
तूइतनीखूबसूरतजोहै
क्याक्यालिखू ..
समझतूमेरेहरलम्हेकीज़रूरतहै,
बेइंतेहाँमहोब्बतकरताहूँतुझेसनम..
हरसाँसमेबसीमेरेतेरीहीसूरतहै..

24.

करमोकीगठरीनेकुछइसतरहपलटीमारी
किदूरहोगईवोसबचीज़जोलगतीथीपियारी…
..इसलिएअब
नींदमेभीसुकूनमिलतानही…..
.क्युकि
इसशरीरकोकुछझिलतानही……..
अपनोकेपियारनेहीमुझेसंजोरखाहै
वरनाफिरजीनेकीहिम्मतमुझेमिलतीनही……………

25.

जानेमनक्याकहताहै
किसगुफ्तगूमेरहताहै,
मेरासाथदेनेकीबजाए
संगआसुओंकेबहताहै,
मैंसोचतीथीकीवोमेरीकमज़ोरीहै
परक्याजानतीथी,
मुझतकपहॉंचनेपहले
वोमेरेदर्दकोसहताहै………..
बिनकहेभीयेमानबहोतकुछकहताहै….

26.

एखुदाइतनेपियारकरनेवालेक्यूदेदिए…..
फिरजीनेकीइच्छाकरनेलगी……………

27.

पलकेझपकझपककर
इंतेज़ारकररहीहैं,
किकबकोईआएगा
औरहमेकुछपलअपनीगोदमेसिररखकरसुलाएगा…………..

28.

भरनीहैउड़ान
छूनाहैआसमान,
देखेगायेज़माना
ऐसीबनाओँगीपहचान …

29.

ज़िंदगीहैएकपियास
अधूरेकोपूराकरनेकीआस
जुटाहैजिसमैंहरएकइंसान
जानेकबहोगीपूरी
यारहजाओंगीअधूरी…………

30.

नज़ानेकेसासमयआनेवालाहै
धूपमैंभीअबसबदिखताकालाहै,
अनकहीसीबनगईहरएकसोच
शायदवक़्तअपनीमारअबमुझपरबरसानेवालाहै,
लम्हेहाथोसेफिसलनेलगेहैं
कोईहैजोमुझेअबतड़पानेवालाहै……

31.

दर्द किसे कहते हैं
क्या जनता है कोई
और यदि हाँ………….
तो फिर क्यू चुभाता है सुई…………?

32.

कोई साथ हो तो क्या बात हो,
पर बातो मैं ना कोई राज़ हो,
एहसास बन्धते हैं बड़ी ही मुश्किलों से,
बँध जाएँ गर
तो समझो…….खुदा के साथ हो……जीवन मैं आबाद हो…………….

33.

कहा था तुमसे कि बहोत पियर करती हूँ
बस बार बार ज़ुबा पर लाने से डरती हूँ
मनती हू इकरार भी सरे आम नही करती हूँ,
पर क्या केरू दिवानी हू तुम्हारी इस कदर,
कि इस तरह तुम पर पड़ने वाली हर नज़र पर नज़र गड़ाए रखती हूँ..
क्युकि खुदा से भी ज़यादा तुमसे पियर करती हूँ…और लोगो से नही ..उनकी की नज़र से डरती हूँ….

34.

क्यों सोचते ही रह जाते हैं
करना चाहतें हैं बहुत कुछ
फिर भी कर नही पाते हैं……

35.

मशहूर होते हैं वे लोग

जो नाम उँचा कमाते हैं,

सागर की एक बूँद तो सभी हैं

सूरज की किरण जाने किस पर पड़ती है………

36.

काँटोपरचलतेथेवो
शोलोंमेंजलतेथेवो
वतनपरमरमिटनेवालेनौजवान
यादकरतुम्हारेबलिदानोंकोसवाल
उठतेहैंसौ,
आँखोंसेआगउगलते
कभीनहींथकतेचलतेचलते
हरबेडि़योंकोतोड़रास्तेबनाए
माथेपरकभीशिक्ननालाए,
कैसेथेयेअद्भुतजवान
उनकीमाँओकोशत-शतप्रणाम,
ऐसीकौनसीशिक्षादीउनको
किहसँते-हसँतेजीवनकियादेशके नाम,
आजभीआँखेझुकजातीहैहमारी
यादकरवीरोंकाबलिदान,
जीकरताहैकुछ ऐसाकरें
उँचा होउनकानाम,
किमुलाकातहोनेपरउनसे
आँखोंसेआँखेमिलाकर
देसकें येपैगाम,
हमाराभारतमहान
कररहाहैउत्थान
आजभीगर्वसेमात्राभूमिके भक्तोंकोयादकर
रोताहैसाराहिन्दुस्तान।

37.

तूकितनीखूबसूरतहै
मुझेतेरेपियारकीज़रूरतहै,
दीवानाहूँतेरेनूरका
गुलामहूँहुज़ूरका,
डूबातेरेपियारमें 
लुटगयासरेबाज़ारमें,
तेरेदरपरखड़ेहैहम
पावंरखेतूजहाँजहाँ 
वहाँबिछनेकोसनम….

38.

जोनहींसोचते
उससचसेपरिचयहोजाताहै
जोदेखनानहीचाहते
वहनज़रआजाताहै,
साक्षीकेवलहैवक़्त 
जोगवाहीभीनहीदेता,
बसमौकादेताहै
यदिवक़्तकाइशारासमझो 
तो,
तज़ुर्बेकातोहफादेताहै..

39.

हमेंसबकुछहैपता
फिरक्योंहैंहमजुदा,
क्योंहमेंदर्शानापड़ताहै
नाटककविताओंआदिकेदुवाराबारबारमनुष्यता
कापाठपड़नापड़ताहै,
आख़िरकबजानेगेंहमजीवनकासहीअर्थ
क्योंअपनातेहैंउसेजोहैव्यर्थ,
हमवोक्योंनहीकरते
जिससेकिसीकेजीवनमेंखुशियाँभरते,
क्याआपअज्ञानीहो
मैंनहीमानती
आपतोविधातादुवारारचेसबसेबड़ेज्ञानीहोमैंये
हूँमनती,
फिरक्योंदूधमूर्तिपरचड़ा
नालीमेंबहातेहो
औरभूकेकीपियासनहीभुजातेहो,
दाननिजीस्वार्थकेलिएनहीं
किसीकेसम्मानकेलिएकरो
किसीपरएहसानसमझकरनहीं
देशकेउत्थानकेलिएकरो,
परजानेहमयेसबकबसमझेंगे
जिसमिट्टीमेंगंदगीमिलारहेहैं
एकदिनउसहीमेंदफ़नेगें ,
क्योंहमेसफाईअभियानपड़ताहैचलना
क्योंहरपलज़रूरीहैआपकोरास्तादिखलाना,
यदिहरकोईअपनेघरकेसाथ–साथ
आस–पाससफाईरखें
तोक्योंयेबिमारीयोंकाकहरबरसे,
क्योंहमजगह–जगहकागज़चिपकाएँ
अबबेटीबचाओंकेभीनारेलगाएँ ,
आख़िरऐसाक्याहैहमारादोष
कबआएगाआपकोहोश,
क्याआपस्वॅमदेखनहींसकतेआजसमाजमें
क्या -क्याहोरहाहै,
क्योंइंसानअपनेकर्तव्योंसेहाथधोरहाहै,
आख़िरकबतकहमहरबातकामुद्‍दाबनाउसे
उठाएँगे
इसतरहआपकेकर्तव्योंकोकबतकयाद
दिलाएँगे,
क्योंहमविदेशीवस्तुओंकोअपनातेजारहेहैं
औरअपनेदेशकीबेरोज़गारीकोबढ़ातेजारहेंहैं,
फिरकहतेहैंआतंकवादबड़रहाहै
अरेइंसानहीतोउसकीनीवकोघड़रहाहै
ज़रासोचो
हमबच्चेइसमंचपर
हँसने–हँसानेकेक्या – क्याकरतबदिखा
जानतेहैंआपकोबहलाना
परंतुमाताजीकहतीमौकामिलाहैतोज़रूरीहैइन
बातोंकोदोहराना,
येबदलावहमाराबलिदाननही
हमारेस्वाभिमानकीपहचानहै,
अबतोजागोदोस्तों
औरलोऐसासंकल्प
जिसकानहीहोकोईविकल्प,
आजसेआवाज़नहीहाथसेहाथमिलाएँगे
हरअंधकारकोदूरकर
मिलकरएकनयाजहाँबनाएँगे !!!

धन्यवाद

सोनालीसिंघल

40.

तेरीमुस्कुराहट 
मेरीसांसोमेंझंझनाहट
मुझेबसादे
मुझेपनाहदे
पहचानलेमेरीआशिकीको
क्युकि
सबमरतेहैंतेरीखूबसूरतपर
मैंमरताहूँतेरीसादगीपर…..