भाई बहन के मन में…

261.
भाई बहन के मन में
प्रेम की छवि हो
भाई की कलाई पर
राखी सजी हो,
आदान – प्रदान हो संस्कारो का
मिलन हो परिवारों का
चोंखट पर बेटियों का हो इंतेज़ार
ख़ुशियों संग मनें सब के त्योहार
रक्षा बंधन की शुभ कामनाएँ
262.
दोस्त शब्द की घहराई
क्या
खूब निखर कर आई,
मैने वक़्त को पुकारा
तब दोस्त आए
जब मज़िलों ने मुझे स्वीकारा
तब दोस्त मुस्कुराए
जब खुदा को निहारा
तब दोस्त नज़र आए
जब हालात से बन बैठा बेचारा
तब दोस्त ने नीवाले खिलाए
दोस्ती की हदें अपनी आदत से मजबूर रहीं
दोस्तों के साथ गम की आंधियाँ दूर रहीं
सच्चे दोस्त ने हाथ क्या थामा
ठहरी हुई किस्मत की लकीरें चल गई
ज़िंदगी खूबसूरत ज़िंदगी में बदल गई…….
263.
नादान शब्दों में आसमान
छूँ लेते थे
चाँद किताबें क्या पढ़ीं
मंज़िलें आसमान की उँचाइयाँ नापने लगी ,
यूँ ही कुछ भी खा लेते थे तब….
पच जाता था सब
आज किताबें पढ़ कर ख़ाते

है
फिर भी बीमारियों से झूझ जाते हैं,
मुस्कुराहट सच्ची थी
आँसू भी सच्ची थे,
नादान शब्दों में कहें तो
जैसे थे वैसे ही दिखते थे,
आज चाँद किताबें क्या पढ़ ली
खुशी के पीछे गम छुपाए फिरते हैं
और गम का इज़हार करना चाहें तो
सच्चा यार ढूँढते फिरते हैं
264.
हर जगह तुम्हारा एहसास है
खुवाब हो चाहे हक़ीक़त
सब में तुम्हारा वास है ,
मैं तुम्हें महसूस कर आनंद उठता हूँ
मेरे मौला मेरे सतगुरु
मैं तुम्हारे स्मरण से भी उर्जा पाता हूँ ,
तुम्हारी तस्वीर को निहारूं
तो हर्शुलास से भर जाता हूँ ,
तुम्हारे हर भक्त में
मैं खुद को देख पाता हूँ,
मेरे मौला मेरे सतगुरु
में तुम्हे बहुत चाहता हूँ
जय गुरु देव
265.
आज जाने वो घड़ी खुशनसीब है
या उस घड़ी में हम
आकड़ा लगाना मुश्किल है
एक खुवाहिश रखी थी खुदा के आगे
उसने झट पूरी कर दी
मैने कटोरी माँगी थी
उसने पूरी तली मेरी करदी ………….
266.
ठोकर खाए संभला होता ………काश
जो गावा दिया वक़्त आज उसका गम ना होता ………काश

जो चाहते थे मुझे मैने उनको पुकारा होता …………..काश
इस काश ने आज वक़्त की अहमियद बतलाई
दस्तक तो वो हर पल देता रहा
पर मुझे ठोकर खा कर ही समझ आई
267.
भारत पर अभिमान करो दोस्तों
भारतिया होने पर तभ तक नही
जब तक तुमने भारत के उजवाल भविश्य के लिए
नई रहें ना हों बुनी …………..
जय हिंद
जय भारत
जय जवान
सबसे उँचा चमके हिन्दुस्तान
278.
यूँ ही चलें दो दिन अपने साथ बिताने
कुछ यारों की सुनने
कुछ मन की उनको सुनने ,
खुश नसीब हैं
जो आज के दौर में भी
ऐसे दोस्त नसीब हैं
वरना ज़िंदगी की असली महक के आनंद से हम वंचित रह जाते
तारों की छाओं में बैठ कर भी चाँदनी का
अहसास नही कर पाते
तब केवल तस्वीरों में हम मुस्कुराते
अब तस्वीरें भी हमारी मुस्कुराती हैं
दोस्तों का साथ हो अगर
ज़िंदगी बहुत खूबसूरत बन जाती है
279.
आँसुओं से आज मेरा
ताना बाना था
खुशी हो या गम
चेहरे पर इन्ही का ठिकाना था
वक़्त बीता हो

या आने वाला हो
इन्हीं की मिठास में छुपा ख़ज़ाना था
होंठों को छूँ लेने के पीछे भी
मन के समुंदर को उफान से बचाने का इनके पास बहाना था
इन खट्टी मीठी बूँदों के वज़न का लगाने बैठी थी अंदाज़ा था
इनको मापने के चक्कर जब गहरी उतरी
तो पता चला
गम हो या खुशी
हर चेहरे पर इनका क्यों ताना बना था
280.
तारे गुन गुन कर मुझे नचाएँ
मन की गति पवन से आज बातें कर पाए
खुशी का मेरे कोई ठिकाना नही
दो कदम चलती हूँ
तो मन की तरंगे कहती आज
चल नाचते अभी,
क्योंकि
.मेरे मन में जो बसा है
उसको रब मिला
जिसका चेहरा देख
मेरा मैयका एक बार फिर सज़ा है