HELLO EVERYONE MY NAME IS SONALI SINGHAL….I LOVE TO WRITE…THE EXPERIENCE I OBSERVE…LIFE IS A CHALLENGE EVERY MOMENT , A LEARNING…….FULL OF FUN EVERYTHING…YOU HAVE TO FIND IT…
Retirenment nahi badlav
हम retirenment क्यों चाहते हैं
क्या हमारे कदम चलने से घबराते हैं,
और यदि ऐसा नही है
तो क्यों ना तोड़ा नज़रिया बदल कर देखें
कि…….यह सोच कर क्यों पाले हम अपने बच्चो को
की कल वो हमें पलेंगें
और हम अपने कल में उनके सहरों को डालेंगें,
बल्कि पाले उन्हें इस कदर
वो रास्ते बना खुद ढूंडे अपनी डगर,
हम उनका साथ दें
जब ज़रूरत हो उनको अपना विश्वास दें,
पर खुद के कल के लिए नही
उनकी मंज़िल के लिए,
बच्चे हमारा विश्वास चाहते है
और हम उनका साथ,
तो क्यों ना ऐसा रास्ता अपनाएँ
साथ रहकर
सब अपनी मंज़िलें चुन सके
और ज़िम्मेदारियों को निभाएँ,
क्यों हम बच्चो के हुनर को अपने स्वार्थ की आग में सेके
जो बच्चे आज हुनर दिखलाने जैसे मंचों के ज़रिए
अपने हुनर को आगे बढ़ा सकते हैं
हम भी वही चाह कर देखे,
जी हाँ दोस्तों………………………………
जीने का यह तरीका , मैने एक शक्स के अनुभव से पाया
जब उसने मुझे एक छोटी सी मुलाकात में अपना किस्सा सुनाया,
छूँ गया वो पल मेरे दिल को
जीत लिया जिसमें मैने मेरे कल को,
वो कहते हैं
कि सारी उम्र धागे बेच कर मैने की कमाई
और मेरे बेटे ने गिटार बजाने में अपनी रूचि दिखाई,
आगे घर कैसे चलेगा ये सोच कर
दो दिन मैने नींद की गोली खाई,
पर जब बदलते दौर की ओर नज़रें घुमाई
तो वक़्त ने मेरी सोच को एक नई राह दिखाई,
मेरी आत्मा ने मुझे झंझोड़ा
मेरी बेड़ियों को तोड़ा,
कि आख़िर किससे भाग रहा हूँ मैं
समाज से ,या खुद से
या अपने बच्चो की काबिलियत से
ये फ़ैसला तो हमारा है…………….
फिर क्यों नही , मैने अपने बेटे को उसकी खुवहिश संग स्वीकारा है……
बस फिर क्या था
घर वालों को समझा
जीती बाज़ी
गिटार सीखने की बेटे को दी आज़ादी,
फिर सबको ये समझाया
की अब नया दौर है आया
चलो उसके साथ कदम भड़ाएं
एक नई सोच की मिसाल बनाएँ,
कि क्यों मैं ये चाहूँ
बेटे को दुकान पर ही बिठाउँ,
क्यों मैं retirement ले
अपने भविष्या को उसका मोहताज बनाउँ,
सही वक़्त पर मिली शिक्षा से खुशियाँ पाई थी
दो पैसे भले ही कम कमाएँ
पर धीरे धीरे चेहरे पर खुशियाँ सब के छाई थी,
बेटे ने मुकाम हासिल कर
हमें इज़्ज़त बक्शाई थी
क्या बताउँ
उसने हमारी सेवा में कभी…….. कमी नही दिखाई थी
हम सुकून से बेपरवाह जीने लगे थे
बेटा हमारी परवाह कर जीता था,
वो देश में हो चाहे विदेश में
हमारी बात ना हो
ऐसा कोई दिन कभी नही बीता था,
हमारी हर ज़रूरत का ध्यान रखना उसने बखूबी सीखा था
उसने हमारे साथ साथ दिल सभी का जीता था,
एक दिन खत में चार पंखतियाँ लिख भेजी उसने
ध्यान दीजिएगा………………
कि बाबा मेरे सपनो को तुमने जिन धागो से सिया था
जिनके कारण में मेरे सपनो को जिया था,
मैं उन धागो के आगे सिर झुकता हूँ
बाबा मैं तुमसे शायद कभी कह नही पाउँगा
मैं तुमको बहुत चाहता हूँ
तुमने जो कुर्बानी दे कर मेरे लिए किया है
ये कौन कर पाता है
खुदा देखने की मेरी खुवाहिश नही
मुझे तुममे ही खुदा नज़र आता है………………….
जी हाँ दोस्तों ये थी वो छोटी सी सोच
जिसने मिटाए मेरे सारे संकोच
कि हमें retirement नही समय के साथ बदलाव अपनाने चाहिए
जब तक हैं साँसे
ज़िंदगी अपने कदमों से आगे बढ़ानी चाहिए,
बच्चे भी देते हैं हमारा साथ
यदि हम उनकी सोच पर रखे विश्वास ……………
भारत की कला
भारत का है अभिमान
इसको आगे बढ़ाने से
हमारे देश की उँची होती है शान
धन्यवाद सोनाली सिंघल