HELLO EVERY EVERYONE……MY NAME IS SONALI SINGHAL I WRITE WHAT I LOVE AND EXPERIENCE ….LIVE EVERYMOMENT
इत्मीनान से जीना किसे कहते हैं
पत्ते पानी में गिर कर क्यों बहते हैं
हवा अपनी मर्जी से क्यूँ चलती है
रात के अँधेरे में तारे हमसे क्या कहते हैं
क्यों वर्षां ना होने पर किसान रोता है
और अध्कि हो जने पर सब कुछ खोता है
क्यों ग्रहण के दिन आसमाँ झुक जाता है दिन के उजाले में
चाँद के आगे सिर झुकाता है
हम जानते हैं समय किसी के लिए नहीं रुकता
फिर भी भगवान पर विश्वास रखने में हमारा दिल नहीं ठुकता
रेत हमारी मुट्ठी में क्यों नहीं रुकती
अपनी इच्छा से क्यों मिलती नहीं मुक्ति
धरती के हिलने से भुकम्प है आ जाता
निहाल व्यक्ति भी बेवजह है चला जाता
कर्मों की गठरी को क्यों हम अपनी मर्जी से पलट नहीं सकते
एक मरे हुए इन्सान को फिर जि़न्दा नहीं कर सकते
जब ये सब हमारे हाथ में है नहीं
तो क्यों हमें जो मिल रहा है
हम उसमें संतुष्ट नहीं।
बादलों की गड़गड़ाहट कह रही है
अब वो सुकून नही
बरसा करते थे हम अपनी धुन में
अब वो जुनून नही ,
क्योंकि हमारी बूँदों की टिप टिप अब धरती वासियों जागती नही
पुकारा करती थी हमें जो आवाज़ वो अब
हम तक आती नही ,
संसारिक सुख की चाह में मनुष्य हुमको भूल गया
इसलिए सावन का झूला सूखा ही झूल गया