HELLO EVERY ONE…MY NAME IS SONALI SINGHAL….I LOVE TO WRITE…ON EVERYMOMENT I LIVE
वक़्त ने एक बार फिर
तुम्हें मेरी मंज़िल का किनारा बनाया है
अब तो मुझे क़ुबूल कर लेना
पहले तो तुमने मुझे ठुकराया है,
मैने शिकायत तो तभ भी ना की थी
मान लिया था
मेरी महोब्बत में कमी थी,
पर अब वफ़ा का पल्ला मेरा भारी है
अंजाम अब भी जो हो
याद रखना सनम………………..
ये दीवानी हमेशा तुम्हारी थी……….तुम्हारी है……..
झुकना मुनसिफ़ समझा हमने
क्योंकि रिश्तों का पल्ला भारी निकाला,
हमने सोचा हम एकेले जी लेंगें
पर इस सोच में घर हमारा खाली निकला,
सही और ग़लत की परिभाषा हम जानते नही
पर उनके बिना जीना मुश्किल निकला,
अब चाहे वो हमें कुछ भी समझे
हमने जब साथ निभाने की फिरसे ठानी………
तो हमारा मन भी हमारे साथ ही निकला…….
आशिकी बढ़ती गई
जैसे जैसे हमारी शायरी से
दागा देने वाले दोस्त कम हो गए
जो दिल से नही, दिखावे के लिए जुड़े थे
वो दूर हो गए………..
और जो मन से चाहते थे
पर कह नही पाते थे
वो बहुत खूब – बहुत खूब कह करीब हो गए……………………..
वक़्त से नाराज़ हो चला
हवाओं से कहा तुमने मुझे छला,
बहक गया था मैं
खुद की लगाई हुई आग में जल रहा था मैं,
उससे लड़ने बैठा था
जिसकी गोद में
मैं खुद रहता था,
जानते हो कब समझ आया
तभ…………जब जिनको अपना समझा उन्होने मुझे ठुकराया
और जिस वक़्त से मैं लड़ता था
उस ही ने मुझे गले लगाया ………….
गर रूठो तो मानना भी सीखो
क्योंकि रूठे को मानाने में
मज़ा तभी आता है
जब वो हमारी शक्ति के भीतर
मान जाता है,
क्योंकि
तज़ुर्बा कहता है
गर रूठने वाला ……
मानाने वाला की शमता को पार कर ले
तो एक खूबसूरत डाली उसके जीवन की टूट जाती है
वो स्वीकार कर ले…………