HELLO EVERYONE………….MY NAME IS SONALI SINGHAL….I LOVE TO WRITE…WRITING MY EXPERIENCE GIVES ME STRENGTH, ENCOURAGEMENT AND POWER TO EXPRESS AND IT ALSO GIVES MY WORDS, MY FEELINGS WINGS TO FLY…THANK YOU
मेरा अनुभव मेरा परिचय
ये मार्ग दर्शन मुझे तेरी ओर खीचें….. अधूरे नही है हम…पर तुम्हारे बिना पूरे नही है हम
ज़िंदगी से शिकायते नही रखी हमने
सोचा जो मिला वो भला ,
पर इसका मतलब ये नही
कि हमें गम ही ना मिला ,
हमें एहसास देर से हुआ
की ज़माना हमसे जलता रहा ये सोच कर की
ये क्या किस्मत लेकर पला,
आज मन कहता है……………
गम मे मुस्कुराना हमारे लिए मुश्किल था,
गम दिखना आसान दुनिया कैसी है मैं समझ ना पाया नादान
कविताओं के रास्ते हमने जीवन खिलाया है
जो कह नही पाते थे वो लिख कर बताया है ,
इशारा था जिनकी ओर उन्होने पढ़ कर भी नज़र अंदाज़ सा ताल्लुफ जताया है
और जो दिल से हमें चाहते थे अपना मानते थे
उन्होने और भी गहरा होने का एहसास जगाया है …..
आँखें हर पल भीगी थी
कैसी वक़्त की उलझन है
लाल रंग से बनी दुल्हन है ,
ठिकाना मिल रहा है
पर जीने का बहाना नही ,
शहनाईयाँ बज रहीं है
पर होंठों पर तराना नही,
वो सोचती है
खिलोने ही तो माँगे थे
चौके पर बिठा दिया
गुड्डा माँगा था
दूल्हा दिखा दिया ……………
पियासी ही तड़पती रही
की कहीं पानी माँगा तो……समुंदर ना दिखा दें
इस छोटी सी उम्र में ……….अब मुझे माँ ना बनवा दें ,
ये सब अब और क्या समझ पाती
मैं तो अभी तक ठीक से चलना भी नही सीखी थी
रोते रहने का अर्थ भी नही समझ पाई
क्योंकि आँखें ही मेरी हर पल भीगी थी ……
आँसू थे जिनके करंण
वो मेरे सगे थे
जिन्होने पौंछ ने थे वो अब तक नही जगे थे ,
मुझे ज़िंदगी को जागीर समझ पहुँचा दिया गया था वहाँ
जहाँ मेरी मर्ज़ी बिना बसाया गया मेरा डेरा था
उस चुनरी को ऑड कर जिसके भीतर सिर्फ़ और सिर्फ़ अंधेरा था ………………
एक दिन गुस्से में मैं , माँ से यूही कह गया
कि तू मुझे समझती नही ,
माँ चुप खड़ी मेरी सारी बात सुनती रही
माँ से जवाब ना मिलने पर
मैने ही पूछा
तुम चुप क्यों हो ?
माँ मुस्कुरा कर बोली
मैं चुप इसलिए हूँ
क्योंकि मैं तुझे समझती हूँ …………