HELLO EVERYONE………….MY NAME IS SONALI SINGHAL….I LOVE TO WRITE…WRITING MY EXPERIENCE GIVES ME STRENGTH, ENCOURAGEMENT AND POWER TO EXPRESS AND IT ALSO GIVES MY WORDS, MY FEELINGS WINGS TO FLY…THANK YOU
हिंदी कविताएँ / मेरा अनुभव/शायरी/मन भ्रमन/ मैं कहना चाहती हूँ/ ज़फ़र का सफ़र /एहसास
मेरा अनुभव मेरा परिचय
ये मार्ग दर्शनमुझे तेरी ओर खीचें अधूरे नही है हम पर तुम्हारे बिना पूरे नही है हम
क्यों करते हैं हम क्रोध
क्यों नही करते इसका बोध,
जबकि जानते हैं हम
कि क्रोध की अग्नि हमारे शरीर को करती नष्ट,
और बुद्धि को भ्रष्ट
क्या क्रोध करने उपरांत
हो जाता है मन शांत,
नहीं……
फिर क्यों लेते इसका सहारा
जब मिलता नही किनारा……….
ए खुदा के बंदे तू उनको क्यू देखता है
जो तुझे गिरता देख खुश होते हैं
देख उनको जो तेरी हर एक हँसी पर मरते हैं
हो सकता है की जीने की वज़ह ना हो तेरे पास
पर कोई हो जो तुझे ही देख जीने को तरसते हैं…….
सुकून के साथ
होता है किसका एहसास ?
विचार करो………….
कि जिसके पीछे भागते भागते जीवन कर रहे हैं व्यर्थ ?
या उसका जो हमारे पास है पर हम उसे देते नहीं अर्थ ?
मुसाफिर से पूछा
तुझे कहाँ जाना है,
वो मुस्कुराकर बोला
ए राह दिखाने वाले सहचर ,
मैं तो निकला हूँ
खोज मैं उसकी ,
जिसका नहीं मिला आज तक किसी को ठिकाना
यदि तेरे पास हो तो देदे मुझे वो ख़ज़ाना….
प्रायश्चित एक अनुभव
एक बात रखना याद
ना करो शॅमा की फरियाद,
वे तो केवल शब्दो का खेल है
जिसमे ना होता दिलो का मेल है,
क्योंकि कोई कभी कुछ नही भूलता
ये एक ऐसा तराज़ू है जिसमे इंसान हर पल है झूलता,
फिर मौका मिलने पर मन मे भरी कड़वाहट संग..
अगला पिछला सब कबूलता,
इसलिए शॅमा ही क्यों माँगो…कुछ माँगना ही है तो
सद्बुद्धि और शक्ति माँगो
जिसके संग व्यवहार को बांधो,
स्वयं ही स्वयं की भूल को तराशो और करो प्रायश्चित
केवल ऐसे ही शांत कर सकते है हम हतोत्साहित चित,
किसी के फैसले का क्यों करें इंतेज़ार
अपने मन की आवाज़ की सुनो पुकार,
फिर लो ऐसा संकल्प
भूल ना दोहराएँ कभी,
अपने आचरण के बलबूते पर
फिर जगह बनपाएँ वहीं,
क्योंकि सपने पूरे हो ना हो
प्रायश्चित नही रहना चाहिए अधूरा,
ताकि लोग तुम्हारी याद मे कह सके
श्वेत था इसका मन
समझा हमने भूरा .. |
कलम सब कहती है
वो जो दिल में है जुबाँ पर नहीं
सुनाती है लिख कर दास्तान वही,
थे हम बेखबर
अनगिनत
सवालों के लिए दिल में भँवर,
नसीब से लगी जब कलम हाथ
मानो
मिल गया वो जिसमें खुदा का है वास,
फिर क्या था
स्याही से भरी थी मेरी कलम
बारिश में नहा कर घुल गए हम,
मन में उठी हज़ारों तरंग
ऐसे निकले इस राह पर
कि फिर रुके नहीं कदम,
हर साँस बोली
मिल गई हमजोली
अब निकलेगी जहाँ में
हमारे भी अरमानों की टोली।