CORONA LESSON May 9, 2021 sonali Nirmit HINDI POETRY ANUBHAV शहर सूने हो गए दोपहर काली हो गई.. ये तेरे मेरे बच्चन की किताब जाने कैसे खाली हो गई.. नाराजगी में ना निकालतिल भर वक्त भीक्या पता उसका साथ कल हो…या हो ..ही नहीं.. कर्म की रेखा कोकिसी ने ना देखाफिर भी कहते हैं..कर्मों का ही है सारा लेखा.. दर्द छिपाया छिप गया…खुशी दबाई दब गई…ए वक्त बता और कौनसा हुनर दिखाऊंकि आज के इस दौर से बता …कैसे पुराने दौर में जाऊं … अब तू स्वॅम से भीलड़ रहा है … [ इंसा]याद कर ओ मनुष्य..जब मैं कहता था…[वक्त ]तू किस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है..