Free 3 Reel Slots Online: At one point in the past, it even had its own dedicated channel on Sky television, but it was bumped off the channel in favour of Sky Bet in April 2024.
  • Australia Online Casinos - However, there are times when the chat is not available.
  • Most Played Online Casino Games: Actually, the wagering requirements may apply to both the deposit and bonus at the same time.
  • Children's slot machines

    Online Gambling Brands
    Established in 2024, at the very dawn of the online gaming era, Gaming Club is well known for being the webs first true casino.
    Blackjack Rules For Dealer Uk
    Could you please indicate a time frame in which Gladys can expect the remaining amount to be processed.
    The games theme is centrally based on the original Pac-Man arcade game where players main objective was to beat their score by chasing pills and ghosts.

    Golden ark free slots

    Dollar 50 Free Chip Casino Canada
    Making a withdrawal request is also simple.
    Demo Slots New Zealand
    These types of bonuses can really offer you an excellent online gambling experience, since you can easily clear them by playing real monye online pokies games you love.
    Bet Sites With Free Bonus Casino

    Poem : अब हर पल लगता हैं बेज़ुबान

    1.)

    अब हर पल लगता हैं बेज़ुबान
    जाने वो वक़्त गया कहाँ ,
    जिसकी हर नोक पर मैं थिरकति थी
    हर लम्हे का लुफ्ट उठा उसमे जीती थी,
    अब निर्भर सी रहती हूँ
    पर खुद से ये ही कहती……
    यदि ना रहा वो वक़्त
    तो ये भी ना रहेगा……
    बेज़ुबान बन गया है जो
    वो एक दिन फिर कहेगा…
    तेरे अपनो की दुआ इस वक़्त पर पड़ी भारी
    जा एक और मौका मिला तुझे फिर थिरकने की करले तैयारी ……

    2.)

    वक़्त कम्बक़्त
    क्या क्या दिखता है,
    जो सागर को मिंटो मे पार कर लेता था
    आज वो किनारे पर बैठ सागर मे बूँद बढ़ता है……

    3.)

    हर कदम पर साथ चलना
    बात नही हाथो मे हाथ रखना,
    लवज़ो से कह ही नही पाऊँगा
    मेरी आवाज़ नही …..खामोशी को पढ़ना,
    ये कला मैने तुमसे ही सीखी है
    आँखों के रास्ते ही तो महोबत जीती है,
    तभ मैं नही समझ पाता था अब समझा हूँ
    जब भी कुछ कहता था
    तुम खामोशी से क्यूँ एक्रार करती थी,
    अब ज़माने की नज़र से मैं डरता हूँ
    पहले तुम डरती थी…..

    4.)

    ये वक़्त तेज़ी से भाग रहा है ,
    या हम……….?
    कम्बख़्त समझ नही पाती
    आख़िर
    किसमे है दम….

    5.)

    भीगी भीगी तेरी पलके
    जब मेरे आँचल मे छलके ,
    मुझे डुबो देती है ………आख़िर
    तू कह क्यू नही देती है
    इस तरह कब तक तड़पाएगी
    अपने मन की पीड़ा कब बताएगी ,
    वेसे मे जानती हूँ सब
    पर तेरे होठों से सुनना चाहती हूँ ,
    तुझे खाली कर देना चाहती हूँ
    तेरी पलके फिर कभी ना भीगे
    तेरी रूह को फिर ज़िंदा कर देना चाहती हूँ……………

    6.)

    निकली हूँ आज लेकर अपना पिटारा
    शायद किसी के काम आ जाए
    और मिल जाए मेरे खुवाबो को किनारा,
    सारी उमर का तज़ुर्बा है
    मेरी इस झोली मे,
    इस उम्मीद पर ,
    की शायद खुशियाँ बाँट सकूँ
    किसी की खोली मे,
    क्युकि…….
    देखती हूँ जब चारो ओर
    लाचारी का कहर,
    ग़रीबी की मार और लोगो को मजबूरी का पीते ज़हर,
    बहुत तकलीफ़ होती है
    बस उन लोगो के लिया कुछ करना चाहता हूँ
    उनसे उनके दुखो को हरना चाहता हूँ..

    7.)

    मैं नही कह पाई
    पर तुम तो कह सकते थे,
    जो बात दिल मे थी
    उसे ज़ुबा पर रख सकते थे,
    कमी तो मुझमे थी इज़हार ना कर पाने की
    बस खबर ही भेज दी होती आने की,
    दौड़ कर ना आई होती तो बात थी
    पर तुमने तो ज़रूरत ही ना समझी मुझे बुलाने की?????????????

    8.)

    सलामत रहे दोस्ती हम सब की
    कुछ इस तरह……
    खुशी हो तो मनाए साथ,
    गम हो तो भड़ाए हाथ..
    खुदा भी डाले नज़र, गर हमारी दोस्ती पर
    तो कहे वाह क्या है बात
    दिल खुश हुआ रच कर ये कायानात …..

    9.)

    एक महान शक्सिहत को शत शत प्रणाम
    जो छोड़ गए हमारे लिए अनगिनत पैगाम,
    क्या क्या दोहराए,क्या क्या बतलाए,
    दो पंक्तियाँ समर्पित करते हैं उनकी याद मे….
    कि हम बहोत खूबसूरत तो नही
    पर किसी के दो पल को खूबसूरत बनाने का
    जसबा रखते हैं,
    उचाईओं को छूने की उम्मीद नही
    वहाँ पहुँच कर हिन्दुस्तान का झंडा लहराने को मज़हब समझते हैं
    जै हिंद
    जै भारत
    जै जवान
    जै श्री अब्दुल कलाम………..

    10.)

    जब किसी दुहीता कि कारण वश शादी नही हो पती
    किस प्रकार वो हर पल मरती या मारी जाती,
    पर उसकी पीड़ा समझता नही कोई
    ताने ,उल्हाने , ना जाने
    क्या क्या मिलता है उसे जाने अंजाने,
    पर सब सहना पड़ता है
    जैसे ले कर बैठी हो कर्ज़ा है,
    जो अनगिनत सपने संजोए बैठी है
    ज़रा सोचो वो अपने मन को मार कर कैसे रहती है,
    भड़ती उम्र के साथ जो जीवन के रंगीन पॅलो को गवा रही है
    ज़िंदगी से खफा हो कर भी मुस्कुरा रही है,
    जिसे पता भी नही कब और किसके आँगन मे जाना है,
    क्यूकी उसका अपना तो होता नही कोई ठिकाना है,
    जो अब निश्चित है भी या नही उसको क्या है इल्म
    पर बेटी का बिया ना होना बन जाता है ज़ुल्म,
    किसी की बन जाती है वो चिंता का कारण ,
    किसी पर बनती बोझ
    अंकुश लगते हर पल उसपर
    आख़िर क्या है उसका दोष,
    केसे करे बेचारी निवारण अपना
    जब हाथ मे नही समाधान ,
    पर बेटी तो होती है पराया धन
    बस उसी का भुगती है परिणाम….

    11.)

    आँसुओं के बेह्ते
    तक्दीर खुद ब खुद तस्वीर बन गई,
    बहोत कोशिश की फिर बदलने की
    पर वो तस्‍वीर शीशे मे जड़ गई,
    क्या खूब कहा है किसी ने………
    औरत का अपना कोई वजूद नही
    जब वो माँगे तभ नाजायज़ मे
    जब उसे मिले स्वीकार करे तभी……………

    12.)

    एक दास्तान सुनती हूँ,
    अनचाहा आईना दिखती हूँ
    जिसमे है हमारी पहचान छिपी
    मैं उससे परिचय करवाती हूँ,
    कि
    क्या खोते हैं क्या पाते हैं
    ये सब बनावटी बातें हैं,
    अपने आज को हम जीते नही
    सलोसाल जिएंगे ये सपने सजाते हैं
    कमाल करता है तू ओ मानव,,,,,
    कौन साथ है तेरे तुझे ईलम भी नही
    किसी और का क्या कहना
    तेरा तो अपना जिस्म भी नही,
    जिस दिन तूने दम है तोड़ा
    इसने तेरा साथ है छोड़ा,
    तेरे साथ मर मिटने वाले भी मस्त हो जाएँगे
    धयान से देखना हर ओर……….तुझे
    केवल भगवान ही नज़र आएँगे……..

    13.)

    जाने सफ़र किसका कितना लंबा है,
    ये जानते हुए भी हर शाकस जीता अँधा है,
    जब छूट जाता है
    तब समझ आता है,
    के शायद दो पल औरमिल कर गुज़ार लेते,
    जो बिगड़ा झूट गया उसे सवार लेते..
    पर अब रोने से कोई फ़ायदा नही
    जाने वाला चला गया ,
    हम रह गए वहीं,
    सीख ये ही है कि……किसी से गीले शिकवे ना रख पियरे
    जाने कब किस मोड़ पर हो जाएँगे भगवान को पियरे………

    14.)

    आज एक अजीब सी कश्मक्श मे है दिल फसा हुआ,
    आगे कदम रखा तो एक नया सवाल इंतज़ार मे था जना हुआ,
    कुछ समझ नही पाई , केसी थी उलझन और उसमे क्या था बुना हुआ,
    नाकाम हुई सभी कोशिशे तभ समझी हर काँटे जो रस्तो पर बिछे थे,
    उनमे मेरा ही कर्म था सना हुआ…….

    15.)

    आज फिर एक मासूम बच्ची
    दर्द से कराह रही है….
    रो रो कर अपनी पीड़ा
    हम सब को सुना रही है…

    16.)

    माँ जीवन मे अनमोल है
    माँ मीठे पियार के बोल है,
    माँ अंधेरे का उजाला है
    माँ पियार के रस से भरा पीयाला है,
    माँ है तो सब कुछ निराला है
    साथ चालू गर माँ के खुल जाता बंद हर एक टाला है,
    माँ के चर्नो मे चारो धाम है
    माँ ही सुबह और माँ ही शाम है,
    माँ की गोध मे संसार है
    माँ की आँखों से बरसता अनंत पियार है,
    माँ तू जगदंबा है
    हमारे आगे खड़ा हुआ खंबा है,
    जो हर धूप छाँ से हमे बचाती है
    गोध मे सिर रख हमे सुलाती है
    माँ तू विस्तार है
    माँ तू गीता का सार है,
    माँ संवेदना है
    माँ तू चेतना है,
    माँ का सर पर हाथ है तो सब आसान है
    माँ है तो सर पर आसमान है,
    माँ तू महान है
    माँ तेरे चर्नो को मेरा शत शत प्रणाम है
    तू है तो मुझमे जान है
    वरना सब कुछ बेज़ुबान है…….
    माँ तू महान है…….

    17.)

    रगो में खून दौड़ता है
    हमारे भी उनके भी]
    फिर क्यों है हम भिन्न
    क्यों बदल गए हमारे पद चिन्ह]
    ये बदलाव केसे है] क्यों हैं
    जहाँ सूरज चाँद धरती आसमान
    कभी नहीं बदले
    केवल बदला है इन्सान
    आखिर क्यों?

    18.)

    जि़न्दगी के कुछ पलों को फिर ढूँढने
    निकला था मैं
    हर मोड़ पर कुछ कदम फिसला था मैं
    ना जाने क्या कुरेदना चाहता था ओर क्यों
    अपनी गलतियों को समझने के बाद भी
    किसको भेदना चाहता था मैं
    आखिर क्या साबित कर सकता हूँ मैं
    गलत था गलत हूँमैं……………………………

    19.)

    आज फिर माँ की गोद मे सिर रख कर सोने का
    मान करता है,
    भागती हुई इस ज़िंदगी मे कुछ पल अपना होने को मान करता है,
    शायद घड़ा बहुत भर गया है
    जिसको हलका करने ,
    माँ के आगे रोने को मन करता है,
    क्युकि आज याद आते हैं वो दिन ,
    जब जीते थे ज़िम्मेदारीओं के बिन
    जब हर तरफ थे खिलोने,
    आँखों मे सपने सलोने ,
    ना कोई वादे ना कोई कसमे,
    हर पल थे अपने,
    और हम अपनी माँ के सपने……………

    20.)

    वक़्त के साथ खेलने की कोशिश मे जब नाकाम हुए,
    तभ समझ आया
    कितना भी पैसा हो…..पर वक़्त के लिया हम सब की तरह आम हुए,
    बावजूद इसके भी घमंड का साथ ना छूटा
    ठोकर खा कर ही समझा जब बदनाम सारे आम हुए,
    कि क्या लेकर आए थे क्या साथ लेजाना है,
    देना लेना —- दौलत शोहरत ..सब यहीं रह जाना है,
    जो भीतर है हमारे बस वो ही साथ जाना है,
    पर उसकी भी बनाई भगवान ने एक परिभाषा है,
    जिसमे उन्होने केवल व्यवहार को ही तराशा है……………