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हिंदी कविताएँ / मेरा अनुभव/शायरी/मन भ्रमन/ मैं कहना चाहती हूँ/ ज़फ़र का सफ़र /एहसास
मेरा अनुभव मेरा परिचय
ये मार्ग दर्शनमुझे तेरी ओर खीचें अधूरे नही है हमपर तुम्हारे बिना पूरे नही है हम

साँसों से पूछा मैने
तुम कभी धीमी
कभी तेज़ रफ़्तार कर
मुझे परेशान क्यों करते हो
साँसों ने उत्तर दिया
मैं तुम्हें वैसे ही मिलता हूँ
तुम जैसे कर्म करते हो
अर्थात -जैसे विचार लाओगे
वैसे ही मुझे पाओगे

दुख और दर्द में आज पता चला
जब अपने दुनिया छोड़ कर चले जाते है
तो बहुत दुख होता है
और
जब अपने जीतेजी छोड़ कर चले जाते हैं
तो बहुत दर्द होता है

यदि
तुम्हें आवाज़ उंची कर लेने से ये लगता है कि
हमें जल्दी समझ आ जाएगा
तो आपकी भूल है
जो हमको कबूल है
745.
दुख और दर्द में आज पता चला
जब अपने दुनिया छोड़ कर चले जाते है
तो बहुत दुख होता है
और
जब अपने जीतेजी छोड़ कर चले जाते हैं
तो बहुत दर्द होता है

हम आज भी वहीं हैं
तुम संग हो कर भी
नहीं हैं
वजह
तुम्हारे तौर तरीकों में
अब तक ढल नहीं पाए
एक हद के बाद
खुद को और छल नहीं पाए

कुछ क्यूं ऐसे क्यों अटक जाते हैं
जिसमें घुल कर हम अपने आज में भटक जाते हैं
मन से वो क्यूं
क्यों नहीं निकलते
इस क्यूं में उलझ कर
हम पीछे रह जाते हैं
आगे नहीं चलते

दर्द दोगे तो दर्द ही मिलेगा
सुख दोगे तो सुकून ही मिलेगा
तुम देखना चाहते हो खूबसूरत दुनिया
पर आँख में किसी की आँसू दोगे
तो तुम्हे धुँधला ही दिखेगा

हर कोई इस बात का नतीजा
बहुत जल्दी निकाल लेता है
कि उसको हमारी ज़रूरत नही
पर कोई ये नही सोचता
कि उसकी ज़रूरत पर हम खुद
खड़े हो पाए थे कि नही

सुख भी है दुख भी है
मौसम के सभी रुख भी है
फिर भी वक़्त नहीं है
हम यहां हो कर भी
कहीं नहीं है यही वजह है
हर चीज में अब वो
नमी नहीं है
जबकि हमें
किसी भी चीज की
कोई कमी नहीं है
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