कहते हैं
कश्ती डूबी वहाँ
जहाँ पानी कम था
हम कहते हैं …………..
आँसू भी कहाँ निकले थे उन आँखों से
जहाँ समुंदर बंद था…….
आगलगी थी
आग भीलगी थी वहाँ
जहाँ पर धुआँ कम था
महोबबत पनप रही थी उस दिल में
जहाँ धड़कनो से जंग था
उम्र निकल गई तो समझा
ये शरीर ही मेरा मेरे संग था