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    नाली में बहा कर दूध…

    541.
    नाली में बहा कर दूध
    शिव को ना मनाएँ,
    किसी ज़रूरत मंध को पीला कर दूध
    ले उसकी दुआएँ,
    शिव एक भाव है
    उस भाव का उत्सव मनाएँ,
    वो भाव प्रेम और समर्पण से मिलता है
    इसलिए उस भक्ति को अपना कर
    आपसी प्रेम – भाईचारे से देश को आगे बढ़ाएँ……..
    हर हर महादेव
    सबसे उँचा हमारा स्वदेश
    542.
    कदमों को इंतेज़ार है तेरा
    तू आवाज़ लगाले,
    स्वॅम आ नही पाएँगे
    गुज़ारिश है तू मिलने का बहाना बनाले,
    मिटा ले गिले शिकवे
    बिन तेरे दिल को सुकून नही
    तेरे साथ ही हैं ज़िंदगी के असली मज़े
    बिन तेरे तो साँसों को भी चलने का जुनून नही………
    543.
    गर मैं कुछ कर पाता हूँ
    यकीं है मुझे

    तेरी कृपा के दाएरे में मैं आता हूँ…
    544.
    तुम अच्छी हो
    या मेरी किस्मत….
    मैं नारी हूँ
    तो मिली जन्नत………
    545.
    दिल में वो रहते हैं
    जिन्हें हम नज़र नही आते 
    उनका प्यार हम नही
    बावजूद हमें वही है भाते,
    ये दिल की दिल्लगी अजीब है
    कुछ समझती नही…….
    कि नज़रे ढूँढे उनकी जिन्हे
    वो हम नही ………
    और हम ……..सब जान कर भी 
    साँसे नाम करके उनके
    छेड़े बैठे खुद से ये जंग नई…….
    546.
    ना वहम का कोई इलाज है
    ना एहम से टिका कोई ताज है,
    जो साथ चले इनके
    वो तो बिल्कुल ही ला इलाज है ……….
    547.
    माँ बाबा की दुआओं का
    असर ही काफ़ी है
    गुरु की हम पर पड़ जाए
    वो नज़र ही काफ़ी है,

    छूँ कर आसमां ना जाने हम
    इतराते है किस गुमान में,
    उन्ही को नज़र अंदाज़ कर
    जिनके आशीर्वाद ही….. हमारे सच्चे साथी हैं………
    548.
    लंबा सफ़र तय किया है हमने
    आसमाँ को छूने का
    मंज़िल के हर पड़ाव को
    हम करीब से महसूस करना चाहते हैं………
    549.
    नए नए पड़ाव है
    हर पल साँसों में खिचाव है ,
    हम जिस पल सोचते है
    बस अब और नही…
    उस ही पल से शुरू हो जाती है
    एक परीक्षा नई………
    550.
    प्रेम की उड़ी लहर
    आओ मिलकर गुलाल लगाएँ,
    फिर आया त्योहार
    रूठो को मनाने का…..
    चलो गुंजिया की मिठास से फिर दिल मिलाएँ,
    सभी को होली की हार्दिक शुभ कामनाएँ…..
    551.

    हर सुबह की दोपर है
    दोपर की शाम
    शाम को ओट लेती रात
    फिर नई सुप्रभात,
    यदि ज़िंदगी को भी
    इसी नज़रिए से चलाएँ
    तो विचार रहेंगे आज़ाद…..
    कि कभी मुस्कुराहट है
    कभी है दिल हताश
    कभी ज़िंदगी स्थिर है
    कभी कदम छूते आकाश………….
    परिस्थितियाँ बेशक बदलती रहे
    बस ज़िंदगी की गाड़ी चलती रहे…………
    552.
    तुझसे बिछड़ने के गम को लेकर
    हम इस दुनिया से नही जाएँगे
    हमे विश्वास है
    हमारे रब पर
    वो हमे एक बार फिर मिलाएँगे…..
    ये तो ज़िंदगी की भेड़चाल थी
    जो हम कल साथ थे
    आज नही
    मिसाल जो हमारी दोस्ती की कायम है
    उसे ये वक़्त के पन्ने क्या हिलाएँगे…………

    553.
    खुद के साथ हमने
    खुद ही साजिश करली
    उसको दिल में बसा
    जिसने हमारे नाम की
    अपने दिल नफ़रत भर ली…
    554.
    हमसे ही आरज़ू थी उनकी
    हमसे ही उन्हें शिकवे थे
    हमे ही वो छोड़ चले थे
    बावजूद
    हमसे ही निभा रहे वो नफ़रत के  रिश्ते थे………..
    हम से वो धोका कर रहे थे
    खुद से वो लड़ रहे थे…….
    ज़िंदगी की गाड़ी जो आसां थी
    उसे वो बेबुनियादी बातों से नज़ाने क्यों गड़ रहे थे……………… .
    555.
    है पर्वत से उँचा वो
    जिसने सरहद पर
    छोड़ी निशानी है
    है पूजनिए वो माँ
    जिसने बेटे को मृत देख फ़र्क से छाती तानी है,
    कहना बहुत आसाँ है
    कि दी उसने वतन के लिए कुर्बानी है
    रह कर देखो एक बार उस घर में कुछ पल
    जहाँ अमन के लिए
    मुस्कुराहट के पीछे छिपे आँसुओं की
    दबा दी सबने दर्द की कहानी है……….

    जय हिंद
    556.
    खुवाहिशे सलाह मशौराह
    करके नही पैदा होती………..
    पर दम इतना होता है
    कि चाहो तो पूरी ज़रूर होती……
    SONALINIRMIT
    557.
    रोज़ आस- पास से गुज़रते
    अफ़सानो को मैं पन्नो पर क़ैद कर लेता हूँ
    ये शोंक नही है मेरा
    बस ज़िंदगी से सीखने का मेरा एक
    अलग अंदाज़ है…………….
    558.
    हक़ समझते थे अपनो पर
    तो हम शिकवे कर बैठे…………
    वो बैठे थे मौके की ताक में
    और हमसे दूर निकल गए…………….
    559.
    सभी देवियों का मन में ध्यान करें
    और नारी जाती का सम्मान करें ….
    घर में साक्षात विराजमान माँ को प्रणाम करें
    नारी के हर स्वरूप का हम रखेंगे मान….ये प्रण करें ……..
    नवरत्रों की हार्दिक शुभ कामनाएँ
    560.
    सफ़र ज़िंदगी का हर पल अनोखा है

    कभी उज्ज्वल है सवेरा
    तो कभी चाहत का झरोखा है,

    कभी शाखा है उम्मीद की
    कभी लालच का धोका है

    कभी नींद है आनंद की
    तो कभी सुधार का मौका है…..
    आज शांति है घर में
    तो कल मजधार में नौका है
    जो भी है
    जैसा भी है
    रचने वाले ने
    सोच समझ के सौंपा है……