481.
दुआओं की कमी सी लग रही है
देना यारों
ज़िंदगी साँसों के बीच अटक रही है …………
482.
कामीने है साले
जब भी खाली होते हैं
तभी मिलने आते हैं,
पर सच तो ये है …….
जब आकर गले लगाते हैं
अजब सा हक़ जता
गम से भरा दिल पिघला जाते हैं
दोस्त कहते हैं खुद को
पर खुदा से लगते हैं मुझको
483.
आओ कुछ यादें ढूँढे पुरानी
वो माँ के सुनहरे रंग की सारी
वो दादी की मुस्कुराहट नूरानी,
वो पापा का लाड़
वो दादाजी की किससे
उन्ही की ज़ुबानी,
वो थाल भर खाई मिठाई
वो प्रेम से भरी दीपावली सबके साथ मनाई……..
आओ फिरसे प्रेम संग से दीपावली मानते हैं
थोड़ा अपनो के साथ
थोड़ा अपने साथ काम करने वालों के साथ
मिलकर एकता के दीप जलते हैं………
धनतेरा एवम् दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
सोनालिनिर्मित
484.
बाज़ार सज़ा है
पर एक बार दिल से सोच
आख़िर किसमे रज़ा है,
सुकून के पल
या बनावटी छल,
क्या खरीदने निकले
जो पास नही
जिसकी ज़रूरत है
वो तो बिकता भी नही………
करले विचार
हर रोज़ है त्योहार,
दिल से मुस्कुराह
जीले हर ज़रराह,
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ
आओ प्रेम के दीप जलाएँ
485.
कारवाँ नही चल रहा
बस वक़्त चल रहा है
हम बैठे हैं जिसकी आस मैं
वो हमे ही छल रहा है
486.
सवालों के दरमियाँ
उनसे रिश्ते बन गए,
वो जवाब देने के हुनर में क्या खूब निकले
कि….हमे पता ही नही चला
कब उनके हो गए………
487.
ना जाने क्यों
संतोष नही मिल पा रहा था
जबकि मैं अपने सिवा दिल सबका जीत पा रहा था……..
वजह देर से सही
पर अब समझ आई…….
कि जिनको मैं अपने दिल में बिठा रहा था
मैं खुद भी उनके दिल में बैठना चाह रहा था………………
488.
सितारों की दुनिया में उतरे हैं हम
फिर भी बेजान कंकरो से करते है जंग………….
हरयाली की ओड चादर
गागर में है सागर………
फिर भी खुद से हम जुदा हैं
जाने इससे बेहतर और जाना कहाँ है………
489.
कहीं ना कहीं तो तू है
जब तक कदमों तले ज़मीं है
तेरा अक्स मुझमे है
और मुझे खुद पर यकीं है …
490.
अब रास्तों पर निकल कर
मैं मंज़िल की तलाश करता हूँ….
क्योंकि मंज़िलो की खबर लगते ही
मैं अपनो के बिछाए जाल में चलता हूँ ……
दुख मुश्किलों का सामना करने से नही
अपनो को सामने देखने से मिलता है…….
इसलिए अब मैं मंज़िल पर आँख टिका
घर से गुमराह बन निकलता हूँ …………
491.
मस्त रहते है हम
ये नही पता कहाँ,
कभी महफ़िलों में अपनो के साथ
तो कभी अकेले बसा कर खुवाबों का जहाँ,
मन की गति आसमाँ पार कर जाती है
जो सोच भी नही पाते
वो नज़ारे देख लौट आती है,
कभी हज़ारो हाथ- हाथ में होते हैं
तो कभी सितारो की रोशिनी के हम साथ होते हैं
वक़्त की रफ़्तार नज़र आती है
ये मस्ती की चादर ओढ़
सुनेहरी नींद भी आनंद को छूँ जाती है………
492.
ज़िंदगी को जैसे देखोगे
वो वैसे ही दिख जाएगी,
तुम किसी को सताओगे
तो क्या सोचते हो
तुम्हे बक्श जाएगी ,
लगी आग- आज उधर
तो कल इधर भी आ जाएगी,
ये मौसम की तरह रुख़ बदलती है
तुम किसी पर गिराओगे
तुम पर भी एक दिन गिर जाएगी
ज़िंदगी को जैसे देखोगे
वो वैसे ही दिख जाएगी …………..
493.
ज़िदगी में किए करमो का ही अर्थ है
जो आज की गुज़ारिश है
वो कल व्यर्थ है……………..
494.
यकीं रख खुदा पर/ या खुद पर
बात एक ही है
वक़्त भी बीत जाएगा
तू हिम्मत बाँध , सब्र रख
तू अवश्य जीत जाएगा
495.
वाकिफ़ नही हुआ अभी तक
तेरे असल अंदाज़ से ए ज़िंदगी,
जब जब आगे बढ़ कुछ नया अपनाता हूँ
किसी नई सोच के आगे फिर
खुद को पता हूँ ……………………
496.
खूबसूरत है हर वो दिल
जो किसी के मन की बात समझ पाता है,
वरना आज के दौर में तो
इंसान अपनी बात कह कर भी
किसी को समझा नही पाता है……..
497.
अजब सी परिस्थितियों में हम रहते हैं
आँख से आँसू
ना बाहर आते …….. ना अंदर बहते है
धुँधला सा हर नज़ारा दिखता
तो आँसू ही हमसे कहते हैं,
कि हमें दोष देने की बजाए
बस इतना बता दे….
हम जिनके इंतेज़ार में बैठें हूँ
वो अब तक तेरे दिल में क्यूँ रहतें हैं ………..
- बेगैरत ना तो वक़्त है
ना ही है किसी अपने का दोष
बेगैरत निकली हमारी खुद की बदलती हुई सोच……………..
Sonalinirmit
499.
ख़याल है तुम्हारा हमारे हर अफ़साने में
फिर क्यों आते हैं तुम्हें मज़े हमे सताने में,
रूबरू हो जातें है गर
तो मस्त दिखाते हो खुदको महफ़िल जमाने में
जाने क्या मज़ा आता है तुम्हें हमे सतातने में,
एक बार आँखों में आँखें डाल कह दो
महोब्बत नही है तुम्हें इस दीवाने से
यकीं दिलाते है
निकल जाएँगे वहाँ से किसी भी बहाने से…….
ता उम्र यूँ ही एकतरफ़ा महोब्बत में गुज़ार देंगे
इतना नूर बसा कर रखा है तुम्हारा अपने दिल में
सारी ज़िंदगी उस प्यार पर वार देंगे……………….
500.
दूरियाँ इतनी बढ़ा दी तुमने
कि अब पास आने से भी
डर लगने लगा है
तुम्हारी ओर बढ़ता हर एक कदम
भँवर् में खड़ा है………