उसकी शक्सियत का लिबास फीका था
पर वो मेरे लिए ही जीता था
मैं ही समझ ना पाया नादान
कैसे छू लेता था आसमान ,
आज टूटा तो इल्म हुआ
कि वो दुआएँ सिलता
और मुझे मुकाम मिलता………….
अदभुद था ये एक तरफ़ा प्रेम का बंधन
मैं कर्ज़दार उसका तब समझा
जब छूट गया तन………..