कहीं आँखों का काजल लुभता रहा August 7, 2019 0 admin babua happy navratri कहीं आँखों का काजल लुभता रहा कोई होंठों की लाली चुराता रहा महफ़िल से जब वो निकलते थे महोब्बत खुद समा बनाता रहा, जान गया था वक़्त कि यहाँ खुदा वास कर रहा है खामोशी शहनाईयां बजा रही है जन्मो का साथ बँध रहा है………