441.
खोज रहा हूँ उसको
जिसका कोई अस्तित्व नही
ठुकरा रहा हूँ उसको
जिस तत्व से ज़िंदगी है जनि…
442.
कोई अपना एक पल में
हमारा दिल तोड़ कर चला जाता है
और हम कहते हैं
हमारा दिल बहुत बड़ा है
443.
गुरु पूर्णिमा पर
हर उन विचारों , संस्कारों , वक़्त , इंद्रियों और साक्षात्कार गुरु
सबके चर्नो को प्रणाम
जिन्होने जाने अंजाने , शिक्षा या किसी भी बहाने
हमे ज्ञान दिया
जीना आसान किया
गुरु पूर्णिमा
जय गुरु देव
444.
सुकून की चाह में
सुख की रोटी ढूढ़ रहा था,
जैसे ही वो मिली
सुकून की परिभाषा बदल गई.
446.
बेवफ़ाई की जैसे ही
हमने हमारे दर्द से
वो हमें छोड़ कर चल दिया
नतीजा
हम रास्तों पर फिर निकल पड़े
हमारी हिम्मत ने हमे नया कल दिया ….
447.
मन के धागे तोड़ मत
अनकही बातों के लपेटे में आकर छोड़ मत
जो कहना है कह दे
जो पूछना है पूछ ले,
यूँ खामोशी की चादर ओड मत ,
रिश्ते गवाना आसान है
कमाना है मुश्किल
तू डाँट ले
मार ले
पर रास्तों को मोड़ मत ………..
448.
माना मैं कबीरा नही
माना मैं कोई हीरा नही ,
पर मुझमे भी तू ही है
तुझमे भी मैं हूँ
अंतर कर्मों का सही ……………
एक दिन तो एक होंगे
यक़ीनन
उस दिन के इंतेज़ार में चल पड़ा हूँ
मुसाफिर ही सही…………….
449.
कुछ बातों के भवर में मैं धंस गया था
इसलिए रास्तों पर फँस गया था
एक अपंग पक्षी तभी तभी मेरी नज़रों के समक्ष धीरे धीरे उड़ गया
मेरे सवालों के उत्तर से जुड़ गया
कि चोट खा कर जो पड़ा रहे
वो सदा परिस्थितियों से घिरा रहे
जो चोट खा कर चलने का प्रयास करे
वो जीवन में सदा आगे बड़े ………………..
वो पक्षी अंजाने में
मेरी डूबती कश्ती को बचा गया
जानवर होकर भी वो
एक टूटते मनुष्य को चला गया…
450
गिर गया तो संभाल लेते हैं
फँस जाउँ निकाल देते हैं,
खबर ना दूँ
तो भी आ जाते हैं
फिर पीट कर
मल्हम लगा जातें हैं
कमीने हैं पर दिल के यार है
सच कहूँ
ज़िंदगी तब तक ही मज़ेदार है
जब तक दोस्तों के साथ बिताए वक़्त की हिस्सेदार है……….
451.
मुझे जाना है उस डगर
जिसका पता नही…….
मंज़िल बेख़बर है यारों
पर जुदा नही……………
452.
माँ
आँसुओं की आवाज़ सुन लेती थी
माँ
चीखती आवाज़ की वजह बुन लेती थी
माँ
मुझे सितारे गिन कर दिखा देती थी
माँ
हर सपने को सुनेहरा बना देती थी
माँ
थी तो आँगन में कढ़ी चावल बना मिलता था
आज बिन माँ के आँगन पहुँची हूँ तो
बाबुल बैठा अपना दर्द सिलता था ……………
453.
ज़िंदगी उलझ गई
तो क्या हुआ
हिम्मत है तुम्हारे पास,
ज़िंदगी टूट गई
तो क्या हुआ
साँसे अभी हैं तुम्हारे पास,
ज़िंदगी बिखर गई
तो क्या हुआ
धरती, समय और आकाश
फिर भी देंगे साथ,
ज़िंदगी सिर्फ़ तुम्हारी सोच पर निर्भर करती है वो फिर दौड़े गी
बस हर हाल में रखो खुद पर विश्वास……
454.
स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएँ
आओ देश की वीरों को याद कर
कुछ वक़्त उनके नाम कर जाएँ ,
वो छू गए आकाश
वो हैं देश का प्रकाश,
वो अमर हैं
वो दुश्मनो के लिए भंवर है,
शान है तिरंगे की
पहचान हैं माँ गांगे की,
अनगिनत नमन भी कम है
भारतीय सैनिक में इतना दम है
आओ मिलकर
हर उन चरणों की मिट्टी माथे पर लगाते हैं
जो माँ- बाबा अपने लाल को ऐसी शिक्षा दे पाते हैं……
जय हिंद
जय भारत
455.
माँ के आँसुओं से आवाज़ आई
जिसके लिए मैं सारी दुनिया से लड़ी
तोड़ गई मुझे उसकी जुदाई ….
माँ की लाचारी बेटे की नज़रे
फिर भी ना समझ पाई
जब उसको तकलीफ़ में देख
माँ की आँख भर आई ……………..
हे मेरे प्रभु
माँ तूने ऐसी क्यों बनाई ………………..
456.
दर्द नही आँखों में
दास्तान है
सुन ले कोई गुज़ारिश है
अब टूट रहा इनके पीछे छुपा बाँध है
457.
उसकी शक्सियत का लिबास फीका था
पर वो मेरे लिए ही जीता था
मैं ही समझ ना पाया नादान
कैसे छू लेता था आसमान ,
आज टूटा तो इल्म हुआ
कि वो दुआएँ सिलता
और मुझे मुकाम मिलता………….
अदभुद था ये एक तरफ़ा प्रेम का बंधन
मैं कर्ज़दार उसका तब समझा
जब छूट गया तन………..
458.
रज़ा में उसकी एक अदा है
वो जब जो देता है
उस ही में मज़ा है
जन्मअष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ
459.
भाव हैं
भाषा है,
सेवा है
संस्कार है,
यदि हमारा गुरु से साक्षात्कार है
गुरु का बरसता हम पर प्यार है
गुरु के श्री चर्नो को प्रणाम
माता पिता – धरती आकाश
सबका करते सम्मान
460.
कब्र ताक में बैठी थी
हमसे मिलने की आरज़ू लिए
और हम चलते जा रहे थे
हज़ारो सपनो के ले कर दिए,
हारी वो जीते हम
क्योकि दुआओं मे अपनो की
उसे रोकने का है दम……………