401
एक खूबसूरत वक़्त का हिस्सा हैं हम
दूर होने का तू ना कर गम,
यक़ीन कर
वो यादें मुस्कुराने के लिए काफ़ी हैं
क्या पता फिर मिल जाएँ
ज़िंदगी अभी बाकी है ……………….
402.
सफ़र में अपना कोई मिल जाना चाहिए
मन की गुफ्तगू को गुनगुनाने का बहाना चाहिए
कदम ना रुके वो दीवाना चाहिए ,
मंज़िलों में महफ़िल का ताना बाना चाहिए,
हर लम्हें को खूबसूरत तस्वीर बना
दिल में बसाना आना चाहिए……..
हम एकेले हों
या मेफ़िलों के मेले हों
हर हाल में मुस्कुराना चाहिए………..
403.
ज़िंदगी को जेसे देखो गे
वेसी ही दिख जाएगी,
तुम किसी को सताओगे
तो क्या सोचते हो
तुम्हें बक्ष जाएगी………
लगी आग आज उधर
तो कल इधर भी आ जाएगी,
ये मौसम की तरह रुख़ बदल देती है
तुम नही रोकोगे तो
तुम पर भी एक दिन गिर जाएगी
ज़िंदगी को जेसे देखो गे
वेसी ही दिख जाएगी
404.
कुछ दोस्त यूँ रखते हैं मुझे संभाल कर
कि क्या कहूं , खरा उतर जाता हूँ
ज़िन्दगी कि हर चाल पर
और अब उनकी इतनी आदत सी हो गई है
कि लोगो को दीखता हूँगा मैं एकेला
पर उन्हें नहीं पता मेरे साथ हर पल चलता है ……..मेरे दोस्तों का मेला ……
दोस्त यूँ मुझे हाथों पर रखते हैं
खुदा दीखता हैं
जब वो हस्तें हैं
खुदा दीखता हैं
जब वो हस्तें हैं
405.
वो नज़ारे हवाओं के थे
जिनके रुख़ के चलते खुद ब खुद
नज़मों में अल्फ़ाज़ सिले जा रहे थे,
और उन छुपी नज़मों में असर आपकी महोब्बत का था
जो उन हवाओं की और हमको लिए जा रहें थे …..
406.
यूँ ही नही हम खुवाबों से मिल पाते हैं दोस्तों
ये आपका प्यार ही है जो हम
आसमाँ छू पाते हैं………..
वहाँ हम टीके ना टीके हमें परवाह नही
खुशी इस बात की है
की हम कहीं भी हों
खुद को अपनों के साथ ही पाते हैं……..
407
सज़दे में माँ के हम
सिर झुकाते हैं
साँसे ले या ना लें
हम जगजननी के ही कहलाते हैं
उसके आशीर्वाद से हम
जहाँ की खुशियाँ पाते हैं
माँ ममता की कोई सीमा नही
खुशनसीब होते हैं वो लोग
जो इस बात को समझ पाते हैं……….
happy mothers day
408,
तुम्हारी खामोशी भारी मुस्कुराहट
बहुत कुछ कह जाती है…..
लफ़्ज़ों का क्यों बेवजह इस्तेमाल करती हो
हमारे जवाब में बस मुस्कुरा दिया करो
वही काफ़ी है…………
409,
मेरी बेरूख़ी तुझे मज़बूत बना रही है
ध्यान से देख
तेरे कदमों में फुर्ती आ रही है……………
410,
आनंद की खोज
कर रहा हर मनुष्य
भीतर है सब कुछ
पर फिर भी जानना है भविष्य,
कल जीने के लिए आज जी नही रहा
जैसे कल पक्का ज़िएगा
स्वॅम भगवान ने हो कहा ………
411,
मैने वक़्त से करवटें बदलना सीख लिया
तक गया था
हवा के रुख़ के हिसाब से चलते चलते…………….
412
कहते हैं
कश्ती डूबी वहाँ
जहाँ पानी कम था
हम कहते हैं …………..
आँसू भी कहाँ निकले थे उन आँखों से
जहाँ समुंदर बंद था…….
आग लगी थी
आग भी लगी थी वहाँ
जहाँ पर धुआँ कम था
महोबबत पनप रही थी उस दिल में
जहाँ धड़कनो से जंग था
उम्र निकल गई तो समझा
ये शरीर ही मेरा मेरे संग था
413.
जब तक खामोश बैठा हूँ
किसी को कुछ नहीं कहता हूँ
आज़मां लो ………….
क्योंकि यकीं है
जिस दिन कदम उठा लेंगे
जहाँ चाहे जमा लेंगे ………
414
शामें भीगी गई. थी
राते सूखी सूखी
सुबह का सवेरा बना अँधेरा
और
दोपहर को मजबूरियों ने जैसे घेरा
सिर्फ एक तुझसे जुड़ा हूँ
तो इस मोड़ पे खड़ा हूँ
तुझ में मिल गया तो सोच नहीं पा रहा
ग़ुम जाऊंगा या खिल जाऊंगा
पर अंजाम जो भी हो
इस आग में कूदे बिना रह भी नहीं पाउँगा
415.
तेरी चाहत का चढ़ा अजब सा फितूर है
जीना है बस अब वहां जहाँ तेरा सुरूर है ,
नज़्में में लिख पाता हूँ
तेरे ही वजूद से
तेरा मेरा रिश्ता जैसे
छाऊ और धुप से ,
मन लगाता नहीं
खुद ब खुद लग जाता है
जहाँ भी जाऊँ
बस तू ही नज़र आता है …………
416.
तूफ़ान की आंधी
मेरा तिनका तक न उडा पाई
एक तूने क्या छोड़ा
मैंने ज़िन्दगी बिखिरी पाई
417.
यूँ ही नहीं मंज़िलों को पा लेता हूँ
कभी उठता हूँ
तो कभी सिर झुका लेता हूँ
कभी जीत का जशन
तो कभी हार को गले लगा लेता हूँ
ज़िन्दगी हर हाल में खूबसूरत ही है
इस बात को गले लगा
हर वक़्त बिता लेता हूँ …………
418.
यूँ घबराते घबराते …… थक गया
कल क्या होगा इस सोच में उलझ कर
आज में फंस गया
अनुमान तो अगले पल का भी लगा नहीं पाता हूँ
सोच में इस तरह डूबा हूँ
जैसे किस्मत के पन्नों में जो लिख ता हूँ
वही पाता हूँ ……
जाने कब समझूंगा
भगवान नहीं हूँ
इंसान हूँ
419.
प्लास्टिक का करें त्याग
उगाएं पेड़
सजाएं बाग़
वातावरण को दूषित होने से बचाएं
जीवन को स्वस्त बनाएं
420.
रूठो मगर इतना नहीं
कि अपने मनाना छोड़ दें ,
हालत के चलते दूरियां बनालो
मगर इतनी नहीं
कि रिश्ते करीब आना छोड़ दें