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HELLO EVERYONE………….MY NAME IS SONALI SINGHAL….I LOVE TO WRITE…WRITING MY EXPERIENCE GIVES ME STRENGTH, ENCOURAGEMENT AND POWER TO EXPRESS  AND IT ALSO GIVES  MY WORDS, MY FEELINGS WINGS TO FLY…THANK YOU 

मौसम का भी अपना
एक अलग ही है जादू,
मन की चंचलता को 
कर देता बेकाबू,
बरसे तो आँगन 
हमारा महके 
बाहें फैलाए कोयल
भी चहके,
भीनी भीनी सी बरसात की खुशबू
जैसे करती हो हमसे गुफ्तगू,
आकाश के बदलते नीले रंग
भर देते मन में तरंग,
बदलो की गड़गड़ाहट
ठंडी पवन………………..
कहती है हमसे
झूम ले कुछ पल , ए खुदा के बंदे
जब झूम रहा है गगन………….

फ़ासले मिटाना चाहते हो अगर

तो अपना लो रास्ता हैं आसान,

जिसे अपना लिया उससे कर लो

महोब्बत…………

जिसे अपना नही सकते

उसका करना सीखो सम्मान…….

फूलों के देख मुस्कुराते हो

मौसम के रंगों के साथ खिल जाते हो,

हरियाली की उपज से 

भोजन का लुफ्त उठाते हो,

प्रकृति की खूबसूरती को निहारने

देश – विदेश घूमने जाते हो,

फिर भी इनके प्रति

अपना फ़र्ज़ नही निभाते हो…………..

इनके हेतु सजक हो जाओ

देश को आगे बढ़ाओ

राहों में ज़िंदगी के

जिस पल से 

तुम्हें हमसफ़र बना लिया

कदम ये ज़िंदगी में

हमने अच्छा उठा लिया,

ढूँढते थे जिसे 

किस्मत से उसने भी अपना लिया

जिनसे मतलब के रिश्ते थे

हमने उनसे फासला बना लिया ,

जो फूल खिल रहे थे

उनके साथ खुद को भी महका लिया,

दिल में उनके घर बनाने से

खुशी ने हमारे घर में पनाह लिया,

ए महोब्बत तेरे सजदे में

हमने दिल सिर झुका लिया

आस्था में विश्वास रखा
कभी विश्वास में रखी आस्था,
गाड़ी चलती चली गई
क्योंकि
साथ रहा मेरे ……..
मेरे रब का वास्ता

वो कहते है हमसे

तुमने जो भी किया

ग़लत ही किया ,

हमने उनकी और नज़रे घुमाई

तो बोलें

खबरदार जो तुमने जवाब कोई भी दिया

वो फ़ैसला सुनते गए

हमारे सवालों को बढ़ाते गए,

इस तरह हमें खामोश कर

वो नादान आनंद लेते हैं

 पर शायद उन्हें इल्म नही

कि इस तरह वे हमारे भीतर जलते आंदोलन को पनाह देते गए …………..

व्याकुल मन

मुरझाया सा तन

सुना रहा है दास्तान

किस भीड़ में खो रहा है इंसान ,

वक़्त नही रहा

एक दूजे के लिए

अपनों का साथ छोड़ कमा रहें है

जाने किस के लिए ,

इंसान खुद को महत्वाकांक्षाओं की आग में सेक रहा है

अपनो को तड़पता हुआ देख रहा है,

माँ बाबा वक़्त से पहले बूड़े बना दिए

एहसास जाने किस – समुंदर में बहा दिए,

सोने में लिपटा है आज

पर सो नही पाता

पैसे की चकाचौंध से घिरा है

पर मन में रहता सन्नाटा,

घर लौटने का वक़्त नही

इसलिए अब मकान में रहता है

साथ चलने का वक़्त नही

इसलिए आज इंसान एकेला रहता है……………….

हम जिन गलियों में

पलें हैं

वो कहते हैं

वहाँ ख़ुदग़र्ज़ लोग रहते है ,

एक लड़की \ एक औरत

कितना भी लंबा सफ़र करले तय

उस पर कभी भी उंगली उठाई जा सकती है

इस बात का सदैव बना रहता है भय ……….

हर दिन में कई दिन जी लूँ

हर लम्हें को सी लूँ ,

होश में ना औउँ कभी

तुम्हारी एक झलक से

इतने जाम पी लूँ,

समा बँधा रहें

हम तुम झूमते रहें,

वक़्त भी कुछ पल के लिए नज़रे चुरा लें

तू मुझे पियार में इस तरह बहा लें,

 इसी दो पल की ज़िंदगी में सुकून का एहसास है

जो भी चाहा मैने

वो इस पल मेरे पास है

एक ज़माना था जब

चाँद पैसों से बाज़ार में समान बिकता था

आज चाँद पैसों में केवल इंसानियत बिकती है

समान नहीं

आँखों में आँसू नही

मगर दिल में उदासी है

नज़ाने खुशी किस घड़ी की पियासी है ,

हर वक़्त सोच…. अजीब- अजीब से ख्यालों से मुलाकात करवाती है

जो सच नही उस पर यकीन करवाती  है

फिर अपनो को खोने का डर सताता है

शुक्र है भगवान के उस नाम का …..जो

विश्‍वास को भेज हिम्मत बाँध जाता है

ओम नमः शिवाय