अब हर पल लगता हैं बेज़ुबान
जाने वो वक़्त गया कहाँ ,
जिसकी हर नोक पर मैं थिरकति थी
हर लम्हे का लुफ्ट उठा उसमे जीती थी,
अब निर्भर सी रहती हूँ
पर खुद से ये ही कहती……
यदि ना रहा वो वक़्त
तो ये भी ना रहेगा……
बेज़ुबान बन गया है जो
वो एक दिन फिर कहेगा…
तेरे अपनो की दुआ इस वक़्त पर पड़ी भारी
जा एक और मौका मिला तुझे फिर थिरकने की करले तैयारी ……