381.
समुंद्र की लहरें अब उफान नहीं मारती
जिस कश्ती पर मैं बैठा हूँ वो अब किनारे पर नहीं उतारती,
कहाँ जाउँ कोई अब रास्ता दिखा दे
मेरी अधूरी ज़िंदगी को खुदा से मिल वादे,
एक जन्नत सा था जहाँ
जब तक तू था यहाँ,
तू नहीं तो मैं क्यों हूँ
खुदा की इस जयास्ती को मैं क्यों सहुं……………………
382.
जीते जी अपना जनाज़ा उठते हुए देख लिया
जब अपनों ने नज़रों से गिरा कर हमें फैक दिया
अब और क्या उम्मीद करूँ अपनों से
अब तो खुवाहिश है इन्हे ज़िंदा रह कर दिखलने की ……………………
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383.
जिनके आगे तुम आँसू बहाना चाह रहे हो
और वो ना समझ पा रहे हों
उनको मुस्कुराकर दिखाओ
वो तुम्हें जल्दी समझने की कोशिश करेंगे ……..
कड़वा है पर सच है
384.
रिश्तों में नमी जिस दिन खो गई
साँसों की आज़ादी
पिंजरे में बंद हो गई ………….
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385.
आज मन को किसी बात से
बहुत तकलीफ़ पहुँची
आपसे कहने की बार बार सोची …………….
पर ना जाने क्यों मन से एक ही आवाज़ बार बार आई
क़ि आप भी तो वही आदमी हैं
कहने से मेरी चोट गहरी हो जाएगी ….लाज़मी है……
386.
ठोकर खा कर कई कई बार गिरा
बहुत मुश्किलों से उठा ……….
पर तब किसी को ना दिखा
जैसे ही कदम मंज़िलों को छूने लगे
मैं सबको दिखने लगा………………
387.
दिल की गहराइयों से कुछ इस तरह जुड़े हैं हम
कि स्याही से लिपटे एहसास काग़ज़ पर हम बिखेरते
आप उन्हें स्नेह दे कर
हममें भरते है दम
388.
मैं यही सोचता रहा
कि वक़्त नही था मेरे पास इसलिए मैं अधूरा जीया
मैं ग़लत निकला
वक़्त तो मेरे साथ ही था
बस मैने ही उसका सही इस्तेमाल नही किया
389.
गौर फर्माओं तो बहुत कुछ कह जाती हैं
ये तस्वीरें …………
और हम इन्हें महज़ काग़ज़ का टुकड़ा समझ बैठते हैं
390.
ठोकर खाकर भी यदि
सीखने को मिल जाए तो
खुद को खुशनसीब समझना मेरे दोस्त
ये मौका भी किस्मत वालों को ही मिलता है
391.
मेरे बच्चे मेरी ताक़त हैं
मेरे पति से है मुझमे नूर
माँ -बाबा का साथ अनमोल है
मेरे दोस्त हैं कोहिनूर ………….
- अधूरे नहीं हैं हम
पर तुम्हारे बिना पूरे नही है हम
391.
कैसी वीरानी सी ज़िंदगी हो गई है
अपनों के बीच बैठा हूँ,
फिर भी एकेला रहता हूँ,
जैसे बिन घटा के सावन
बिना खुश्बू के गुलाब
सब कुछ है
इर्द गिर्द
फिर भी मुझे चाहिए वैराग …..
392.
गम को गुमान है
हर हसी के पीछे उसका ही निशान है………
उसके एहम को हमने कुछ यूँ तोड़ा
मुस्कुरकर उसे गले से लगा लिया
तभी उसने मेरा साथ है छोड़ा …………….
393.
कोई पूछता है
क़ी कैसी हो….तो कह देती हूँ
बहुत बढ़िया………..
क्योंकि जो दिल से चाहते हैं
वो आँखों से ही समझ जातें हैं…………
394.
एक खूबसूरत वक़्त का हिस्सा हैं हम
कभी दूर कभी पास हैं हम
मन की बात एक दूजे से कहती है धड़कन
वक़्त केसा भी हो
मन से जुड़े हैं हम
395.
तकता रहता हूँ तुझे
क्योंकि तुझे चाहता हूँ
खाली नही हूँ ……
तुम्हारी महोब्बत में डूब कर
समय निकाल कर आता हूँ………
396.
चंद ख्वाहिशे क्या सीलि
जीने के नज़रिए ही बदल गए,
मुकाम को मंज़िलें क्या मिली
रुके कदम अपने आप चल गए ,
गुज़रते रास्तों पर कुछ अंजाने अपने से लगे
मौसम भी हमारे साथ हस्ने लगे,
ज़िंदगी का ये रूप मन को बहुत भाया
ना जाने वो कौन सी शक्ति है
जिसके रहते हमने ये नया जीवन है पाया
धन्यवाद
397.
शर्म की बात है पर हम सोचते नही…..
हर रोज़ दर्द नाक हादसों से गुज़रती बच्चियाँ
चीख चीख कर अपने दर्द की दास्तान सुनती हैं
कुछ तड़प तड़प कर मर जातीं हैं
कुछ .मार दी जाती हैं
सबको सब कुछ पता है
फिर भी
facebook पर वोट करवाया जाता है
इज़्ज़त लूटने वालों को फाँसी मिलनी चाहिए या नही …………?
ये सवाल उठाया जाता है………..
बहेद शर्म की बात है
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398.
वक़्त की आवाज़ है
हर लम्हें मैं खुच ख़ास है
पहेचानले जो
उसके सिर पर ताज है,
जो जान कर भी अंजान रहें
उनके लिए हर पल रात है …….
वक़्त की कद्र करो
हर पल ये वक़्त तुम्हारा है
मान कर चलो…………
400.
यूँ ही कुछ खुवाहिशों से बाते कर रहें थे
क्या पता था…उस पल की खुवाहिशों…
को भगवान भर रहे थे…….
मिल गए थे हम अगले ही पल उनसे
यकीं ना हुआ
हर रूप मैं स्वरूप उस खुदा का मिला
जिसकी कर रहे थे हम दुआ…………